100 wpm hindi shorthand dictation ! hindi steno dictation 1,2,3,4,5

 100 शब्‍द प्रति मिनट 100   hindi shorthand dictation 100 wpm ! hindi shorthand



      नया वर्ष शुरू हो गया है और एक बार फिर हमने अभिभाषण के लिए राष्‍ट्रपति
के प्रति धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पर बहस की है। वैसे तो संसद बहस की ही जगह है
, लेकिन कई
बार और खास तौर पर इस मौके पर मैं यह आशा करता हूं कि विपक्ष के सदस्‍य // चाहे कुछ
समय के लिए ही हो
, छोटी-छोटी संकीर्ण बातों से ऊपर उठकर
गंभीरतापूर्वक बुनियादी सवालों और राष्‍ट्र की समस्‍याओं पर विचार /// प्रकट करेंगे।
क्‍या मेरा यह कहना गलत होगा कि कुल मिलाकर इस बहस में किए भाषणों से निराशा ही हुई
है
?
 विपक्ष के माननीय(1) सदस्‍यों ने एक बार फिर वही
आलोचनायें की हैं जो वह पहले कई बार कर चुके हैं और वैसे ही विचार पूर्व में प्रकट
किए थे। ऐसा करना उनका अधिकार है और इसीलिए वह यहां मोजूद हैं और वह अगर ऐसा नहीं करते
तो वह
, वह न होते // जो कि वह, वह हैं।



           पिछले वर्षों मैं विपक्ष से कहा करता था कि
वह राष्‍ट्र के सामने अपना कोई कार्यक्रम पेश करें। अब /// मैं ऐसा नहीं कहता । अब
देश ने उनसे इस बात की आशा रखनी ही छोड़ दी है। विपक्ष के एक सदस्‍य ने राष्‍ट्रपति
की इस अपील का (2)   
मजाक उड़ाया था कि राष्‍ट्र के सामने इस समय जो बड़ी समस्‍याएं हैं उनके
हल के लिए सभी पार्टीयां सहयोग करें। मेरा ख्‍याल है कि मेरे बार-बार यह कहने की जरूरत
नहीं है कि सरकार इस अपील केा बड़ी गंभीरता से लेती है । माननीय सदस्‍य ने इस के साथ
कई शर्तें लगा दी थीं। एक शर्त यह थी कि मैं ऐसा आश्‍वासन दूं कि जिससे संविधान और
बुनियादी ढा़चे के लिए खतरे के बारे में और न्‍यायपलिका और प्रेस की आजादी के लिए खतरे
में सभी शक और डर दूर हो जाएं। मेरा विचार है कि यही उनके शब्‍द (3) थे। एक ही शर्त वह
भूल गए थे और वह यह कि वह सरकार का तभी समर्थन करेंगे यदि उसमें उनके अपने आदमी होगें।

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       मुझे / विपक्ष के साथ हमदर्दी है कि इस वर्ष
वह उलझन में पड़ गए हैं। किसी चीज की कमीं कहीं भी नहीं है कि वह शोर// मचा सकें। इस
बार तो वह प्‍याज के बारें में भी आंसू नहीं बहा सके।/ सब तरफ से निराश होकर उन्‍हें
तब और अब उससे /// पहले की घिसी पिटी बातें फिर कहनी पड़ती है और फिर यह हौवा खड़ा
करना पड़ता है कि लोकतंत्र
, न्‍याय प्रणाली, चुनाव पद्धति
को खतरा(4) उत्‍पन्‍न हो गया है । वह यह महसूस ही नहीं करते हैं कि उनके ऐसा करने से
केवल यह बात प्रकट होती है कि उनकी दलीलों/ में विरोधाभास है और वह जो राजनीतिक विचार
प्रकट करते हैं वह बिल्‍कुल थोथे हैं। (5)


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अध्‍यक्ष
महोदय
, आज सदन में वित्त मंत्रालय की मांगों पर बहस होरही है। सरकार
के हर विभाग का वित्त मंत्रालय से संबंध होता है। /देश में जो प्रगति हुई है और हो
रही है उसकी काफी चर्चा हुई है। जो प्रगति हुई है वह चारों ओर दिखाई पड़// रही है।
कम से कम रेल विभागों में तो काफी प्रगति दिखाई पड़ रही है। कम से कम रेल विभागों में
तो काफी प्रगति दिखाई पड़ रही है। रेलों में अब भीड़ कम होती है
, बिजली का
भी /// काफी विकास हुआ है। लेकिन गांवो की ओर जो हमारा दृष्टिकोण है उसको देख कर कुछ
तकलीफ होती है। अभी जो जनगणना हुई (1)  उसे
देखने से मालूम होता है कि शहरों की जनसंख्‍या अधिक बढ़ी है। आज देहातों से लोग शहरों
की ओर आ रहे हैं। हमारे राष्‍ट्रपिता ने कहा था कि लोग गांवो में बसे
, गांव के जीवन
को पवित्र करें।लेकिन स्‍वतंत्रता के साठ साल बीत जाने के बाद भी देहातों की तरफ न
जाकर लोग शहरों की तरफ न दौड़ते (2) बल्कि शहरों से देहातों की ओर आते।



       देहात के जीवन में दो प्रकार की चीजें थी। एक
तो जमींदारी प्रथा थी और दूसरे वे / लोग थे जो रूपये का लेनदेन करते थे। जमींदारी प्रथा
समाप्‍त हुई जिससे लोगों को कुछ राहत मिली। जहां तक रूपये का लेनदेन// का प्रश्‍न है
पहले 25 प्रतिशत तक ब्‍याज लिया जाता था उसमें कमी हुई है लेकिन कहीं कहीं पर तो ///
अभी भी उतना ही ब्‍याज लिया जाता है जिससे कर्ज लेने वाला उनके चंगुल से नहीं निकल
पाता। सरकार भी अब उचित (3)दर पर कर्ज देने लगी है। इसी कारण से कहीं-कहीं पर साहूकरों
क ब्‍याज की दर कमी आई है। लेकिन इसके बावजूद भी / यदि हम देहातों और शहरों की तुलना
करते हैं तो उन दोनों के स्‍तर में काफी अंतर पाते हैं। अभी कहा गया है कि पंच // वर्षीय
योजना के कारण देश की आमदनी बढ़ी है। यदि यह बात सही है तो मैं जानता हूं कि वह आमदनी
कहां गई ।इस /// बात का पता लगाने के लिए सरकार ने एक कमेटी बैठाई है जो इस की जांच
करेगी कि वह बढ़ी हुइ्र आमदनी कहा  है और किसके
(4) हाथ में पहुंची है। अभी एक माननीय सदस्‍य ने योजना मंत्री जी से प्रश्‍न पूछा था
कि पहली और दूसरी योजनाओं के कार्यान्वित हो / जाने के बाद किस भाग को अधिक लाभ पहूंचा
है और किस भाग को कम पहुंचा है या बिल्‍कुल ही नहीं पहुंचा है। इस प्रश्‍न के // उत्तर
में मंत्री महोदय ने बताया कि अभी इस पर विचार हो रहा है औ देखा जा रहा है कि किस वर्ग
को कितना /// लाभ हुआ है। मंत्री महोदय के इस उत्‍तर को सुनकर मुझे बहुत आश्‍चर्य हुआ
है और मैं आशा करता कि सरकार सब वर्गों का ध्‍यान रखेगी।

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महोदय, मुझे इस
बात पर प्रसन्‍नता है कि राष्‍ट्रपति जी ने‍ शिक्षा के बारे में अपने भाषण में इस
वर्ष विशेष रूप से ध्‍यान / दिया है। हमें दु:ख के साथ यह स्‍वीकार करना चाहिए कि
आजादी के बाद शिक्षा में जितना सुधार होना चाहिए था वह नहीं हो सका // है। उसके
कुछ भी कारण हों
, आर्थिक हों या दूसरे, लेकिन यह
हमें मानना पड़ेगा कि शिक्षा के क्षेत्र में अभी बहुत // कुछ काम करना बाकी है।
शिक्षा आयोग की रिपोर्ट में जो सिफारिशें हैं उनको तुरन्‍त अमल में लाया जाना
चाहिए था परन्‍तु ऐसा (1) नहीं किया गया । इसक कई कारण है। योजना आयोग ने और भारत
सरकार ने बुनियादी शिक्षा को स्‍वीकार किया है। मैं यह कहना चाहता / हूं कि अब वह
समय नहीं रहा जबकि बुनियादी शिक्षा को केवल कुछ ही क्षेत्रों में चलाया जाए
, कुछ ही
बेसिक स्‍कूल खोले जाएं // और बाकी स्‍कूल पुराने ढंग से चलते रहें। भले ही हम उस
तरह से शिक्षा न चला स‍कें जिस तरह से सेवाग्राम में चलती रही /// है। फिर भी उसका
बुनियादी सिद्धांत है कि उत्‍पादन के द्वारा शिक्षा देना
,उसके
संसार के सभी शिक्षा शास्‍त्री आज मानते हैं। (2)



आज
स्‍कूलों
, कालेजों की शिक्षा अच्‍छी नहीं है। यह सभी जानते हैं कि
आज की शिक्षा बच्‍चों को बेकार बना रही है। इसलिये / मैं तो यह चाहता हूं कि जो
हमारी शिक्षा हो
, जो स्‍कूल कालेज हों उनमें बुनियादी शिक्षा का सिद्धांत
अवश्‍य लागू किया जाना चाहिए// यह नहीं होना चाहिए कि कुछ बेसिक स्‍कूल खोले जाएं
और बाकी सभी पुराने ढंग से चलते रहें। आज जो बच्‍चे हैं
, उनकी
पढ़ाई/// रूक जाती है
, वे कालेज में नहींजा सकते । मैं समझता हूं कि हमारा
शिक्षा मंत्रालय उसकी ओर पूरा ध्‍यान देगा ताकि राष्‍ट्रपति जी (3) ने अपने भाषण
में जो कुछ कहा है वह पूरा हो सके और शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन हो सके।



       हम अक्‍सर यह कहते हैं कि जब नई सरकार आती
है तो नया झेडा होना चाहिये लेकिन मैं समझता हूं कि नई सरकार के आने के साथ नई
शिक्षा का // भी आन बहुत जरूरी है। राष्‍ट्रपति जी के भाषण में दलित जातियों के
बारे में भी जिक्र है। मैं उसको बहुत महत्‍वपूर्ण मानता हूं । यद्यपि आज भारत स्‍वतंत्र
है। लेकिन यदि हम हरिजनों की तरफ और जो आदिम जातियां है उनकी ओर ध्‍यान नहीं देगे
तो केवल (4) सामाजिक ही नहीं
, राजनीतिक समस्‍याएं उत्‍पन्‍न हो जाएंगी। मुझे बहुत खुशी
है कि गणतन्‍त्र दिवस के अवसर पर दिल्‍ली में देश / क कोने-कोन से आदिवासी भाग ले
रहे हैं। यह न केवल सांस्‍कृतिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण है बल्कि राजनीतिक दृष्टि
से भी बहुत // महत्‍वपूर्ण है । हमें समझना चाहिए कि जो आदिवासी लोग हैं
, जो
आदिवासी क्षेत्र हैं वे भारत के अभिन्‍ना अंग हैं। /// हमें उनको यह भी बतलाना
चाहिए कि सारा देश उनके कल्‍याण के लिए और उनकी भलाई के लिए प्रयत्‍नशील रहता है।
(5)
 

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अध्‍यक्ष
महोदय
, दिल्‍ली देश की राजधानी के लिये ही नहीं जानी जाती है
बल्कि इसलिए भी जानी जाती है बल्कि इसलिए भी जानी जाती है कि विश्‍व में प्रदूषण
के मामले में यह तीसरे स्‍थान पर है। इसका सबसे ज्‍यादा असर हमारे बच्‍चों पर होता
है। कैंसर के कितने रोगी दिल्‍ली में है इस // का कभी सरकार ने अनुमान लगाया है
? यह सब
प्रदूषण के कारण है । इन हालातों केा देख कर एक जनहित याचिका पर उच्‍चतम/// न्‍यायालय
के निर्णय दिया कि इसको रोकने के लिए कोई दूसरा र्इंधन प्रयोग किया जाए। इस कार्य
के लिए एक कमेटी का गठन हुआ (1) जिसने गम्‍भीर विचार - विमर्श करके देश -विदेश के
दौरे करके अपने सुझाव न्‍यायालय को दिए। इन सुझावों पर दिल्‍ली और केन्‍द्र सरकारी
राय मांगी गई। इन दोनों ही सरकारों ने समिति के सुझावों से अपनी सहमति व्‍यक्‍त्‍
की । केन्‍द्र सरकार की तरफ से कह गया // कि हमारे पास काफी मात्रा में गैस है
, हम गैस
की कमी नहीं होने देंगे। दिल्‍ली की सरकार ने कहा कि हम निर्धारित समय में ///
बसों
, ऑटो,टैक्‍सी आदि को गैस से चलने योग्‍य बनवा देंगे। इन दोनों
की सरकारों की बात सुनकर न्‍यायालय ने निर्णय दे दिया कि सितम्‍बर के बाद
सार्वजिनिक वाहन सिर्फ गैसे से चलेगे। वाहन वाले अपने अपने वाहनों केा गैस से चलने
योग्‍य बनाने लगे। कुछ लोगों ने नए वाहन खरीद लिए और इस तरह से पूरी दिल्‍ली में
गैस से चलने वाले हजारों बसें
, ऑटो और टैकिसयां आ गई। इसका परिणाम था // सभी देख रहे
हैं। इन सरकारों ने अपनी राय देते समय जनता के हित को ध्‍यान में नहीं रखा
, दोनों की
सरकारें एक -दूसरे /// पर दोष लगाती रहीं पर उसका फल दिल्‍ली की जनता भोग रही है।



               महोदय, आप जानते
हैं कि परिवहन को सुचारू रूप से (3) चलाने के लिए ही पुल बनाए जा रहे हैं क्‍योंकि
हमारी सड़के परिवहन के लिये काफी नहीं थी इसलिए तो इन / का निर्माण किया जा रहा
है। परन्‍तु आज आप दिल्‍ली के किसी भी क्षेत्र में चले जाएं और आप देखेंगे कि
सड़कों पर बसों
, ऑटो और // टैक्सियों की लम्‍बी-लम्‍बी लाइनें लगी हुई
हैं। कोई बस स्‍टाप नहीं मिलेगा जिसके आगे यह लाईन न लगी हो। क्‍या इससे ///
दुर्घटना बढ़ने पर संभावना नहीं है। यह लाइनें मुख्‍य सड़को पर हीं नहीं कालोनियों
में भी लगी दिख जाएगी। कालोनी के लोग भी इससे (4) काफी परेशान हैं क्‍योंकि आए दिन
कोई न कोई ऐसी घटना हो जाती है जिसको कोई भी व्‍यकित्‍ सहन नही कर सकता।



           महोदय, मैं /
कहना चाहता हूं कि विश्‍व में कोई भी ऐसा देश नहीं होगा जहां कि परिवहन व्‍यवस्‍था
सिर्फ एक ही ईंधन पर निर्भर हो। हर // देश में परिवहन कम से कम दो र्इंधनों पर
चलती है। यदि एक ईंधन न मिल पाए तो दूसरे से काम चलाया जा सकता है /// लेकिन हमार
दिल्‍ली तो एक ही ईंधन पर परिवहन व्‍यवस्‍था चला रही है। क्‍या सरकार ने कभी यह भी
सोचा है यदि कभी (5) गैस नही मिल पाई तो दिल्‍ली का क्‍या होगा
?

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अध्‍यक्ष महोदय, मैं इस
प्रस्‍ताव के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं । यह सरकार हर क्षेत्र में
विफल रही है। मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि चुनाव के समय इन लोगों ने जनता से
जो वायदे किये थे उनमें से किसी एक को भी पूरा किया है
?
 प्रस्‍ताव के समर्थन में सत्‍ता पक्ष की ओर से
बढ़ चढ़ कर बातें की गई । भविष्‍य में हम यह करेंगे
,
कुछ सालों में हम /// आत्‍मनिर्भर हो
जाएंगे। लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आता कि साल कब आएंगे। जब से यह सरकार आई है
तभी से हम
 (1)
यह बातें सुन रहे हैं। प्रस्‍ताव के समर्थन
में कहा गया कि हमने सारे विश्‍व को दिखा दिया कि हम भी अणु शक्ति सम्‍पन्‍न / राष्‍ट्र
हैं। मैं जानना चाहता हूं कि क्‍या सारे विश्‍व ने आपको अणु शक्ति
 सम्‍पन्‍न देश मान लिया है क्‍या इसके बुरे
परिणाम नहीं // हुए । अमरीका ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए। यदि आप वास्‍तव
में अणु शक्ति सम्‍पन्‍न हैं तो यह दबाव आप क्‍यों सह रहे हैं।

                            एक
बात मैं और कहना चाहता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री शांति की बात करते हैं और शांति
बनाए रखने के लिए ही (2) लाहौर की बस यात्रा की । लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि
उसका परिणाम क्‍या निकला
?  पाकिस्‍तान ने आपकी पीठ पर वार किया और आप
शांतिदूत बनकर उसे चुपचाप सहते रहे । हमारे सैकड़ौ सैनिक कारगिल में मारे गए
,
लेकिन आपने विश्‍व को दिखाने के लिये //
पाकिस्‍तान की सीमा में प्रवेश नहीं किया । इतना ही नहीं
,
जब हमारे सैनिकों ने पाकिस्‍तान के सैनिकों
को घेर लिया तो आपने उन्‍हें वापस /// जाने का रास्‍ता दे दिया। सेनिकों की इस तरह
की मौत से हमारी जनता को काफी दु:ख पहुंचा। परन्‍तु इस सरकार न फिर उसी पाकिस्‍तान
(3) से शांति वार्ता कायम करने का विचार बना लिया है।

                            महोदय, अभी
तो मैने अपनी बात कहना शुरू ही किया हे और आप कह / रहे है कि मेरा समय समाप्‍त हो
गया । छोटे दलों के साथ इस तरह का अन्‍याय नहीं होना चाहिए ।बड़े दलों के लोग तो
दस//मिनट तक बोलते हैं और यदि उनकी बात समाप्‍त न हो तो उनका कोई अन्‍य सदस्‍य
अपना समय उनको दे देता है // पर हमारे साथ तो ऐसी स्थिति नहीं है। मैं तो अपने दल
का अकेला सदस्‍य हूं । अत: मैं निवदेन करना चाहता हूं कि मुझे कम (4) से कम दो
मिनट का समय और दिया जाए जिससे मैं अपनी पूरी बात कह सकूं।







                        महोदय, हमारे
देश के सैनिक जो देश की / सीमा की रक्षा के लिए अपनी जान पर खेल जाते हैं उनके साथ
इस तरह का व्‍यवहार कब तक सहन किया जाता रहेगा। सारे //देश के लोगों ने यह समाचार
सुना कि एक छोटे से देश ने हमारे सैनिकों को पकड़ कर अनके अंग-भंग कर दिए। हमारी
सरकार /// सरकार ने तब क्‍या किया
,
इसे भी हम सब जानते हैं। मैं समझता हूं कि ऐसी
सरकार को एक दिन भी सत्‍ता में नहीं रहना चाहिए।
                                                                                 
                                                                                              

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